...

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मैं गुमशुदा ~~
मैं गुमशुदा~~

मुझे तुम नहीं मिले तो मैंने 'लिखना' चुना,
हजारों की भीड़ में मैने सिर्फ तुम्हे अपना चुना।

लिखकर काफ़ी चीज़े बयां करदी है मैंने,
के तुमने आज भी मुझे नहीं चुना।

लफ्ज़ नही है मेरे पास अब और बयां करने को,
कोई अपना रहा नहीं मेरे पास 'अपना' कहने को।

मैं अब समझ गई हूं के तुम अपने तो नहीं थे,
तुम वो 'सपना' थे जो सच है ही नहीं सच कहने को।

तुम्हे 'लिबास' बनाना था तो मांगा था खुदा से,
खुदा बेहतर जानता है इस 'गुमशुदा' से।

तुम ना मिले इसका गम अब नहीं होता,
क्या बताऊं अब तो तुम्हे देखने का भी जी नहीं होता।

खुश रह लेती हू आज भी मैं तुम्हारी यादों में,
तुम्हे मै भूल गई ताकि चर्चा न हो मेरी 'खानदानों' में।





© @ishq_adhura